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प्रतियोगी परीक्षा में ड्यूटी से शिक्षकों की ना : शिक्षकों का ब्लॉग latest updates

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड (एचपीएसएसएसबी) हमीरपुर व हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला द्वारा 26 जुलाई को करवाई जा रही प्रतियोगी परीक्षा के दौरान शिक्षकों ने ड्यूटी देने से इन्कार कर दिया है। भविष्य में भी किसी प्रतियोगी परीक्षा व गैर शिक्षण कार्य करने के लिए शिक्षक राजी नहीं होंगे। अध्यापन के अतिरिक्त शिक्षकों पर गैर शिक्षण कार्य भी थोपे जा रहे हैं। सरकार खराब परीक्षा परिणाम पर शिक्षकों से जवाब तलब कर रही है। इस कारण प्रदेश के शिक्षकों ने अब पढ़ाने के अतिरिक्त अन्य कार्य करने का विरोध जताया है। 26 जुलाई को स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा करवाई जाने वाली जेबीटी प्रवेश परीक्षा व इसी दिन एचपीएसएसएसबी भी विभिन्न पदों के लिए लिखित परीक्षा करवा रहा है।
इन परीक्षाओं के केंद्रों पर शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। इन दिनों ग्रीष्मकालीन स्कूलों में अवकाश है। शीतकालीन स्कूलों में भी 21 जुलाई से मानसून अवकाश शुरू है। यह ड्यूटी लगने के कारण आउट ऑफ स्टेशन गए शिक्षकों को वापस आना पड़ेगा या फिर कहीं जाने का कार्यक्रम रद करना पड़ेगा। हालांकि अधिकांश शिक्षक अपने घरों से दूर दूसरे जिलों में सेवाएं दे रहे हैं। राजकीय अध्यापक संघ ने इसका विरोध किया है कि हर छुट्टियों में शिक्षकों को कोई न कोई गैर शिक्षण कार्य थमा दिया जाता है। इससे उन्हें मानसिक रूप से आराम नहीं मिल पाता है व अतिरिक्त कार्य के बोझ का बुरा असर बच्चों की पढ़ाई पर दिख रहा है। खराब परीक्षा परिणामों का भी सबसे बड़ा कारण यही है। हिमाचल प्रदेश राजकीय अध्यापक संघ ने सरकार से मांग की है कि शिक्षकों से गैर शिक्षण कार्य लेना बंद करें व उन्हें जिस उद्देश्य के लिए नियुक्त किया है यानि राष्ट्र निर्माण में बच्चों को शिक्षित करने का जो दायित्व दिया है, उसे करने दिया जाए। संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष एसी किमटा ने कहा कि स्कूलों में खराब परीक्षा परिणाम का मुख्य कारण यही है कि शिक्षकों से गैर शिक्षण कार्य चाहे वो सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, मिड डे मील, छात्रवृत्ति आदि कार्य हों, करवाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त मतदाता सूची पुनर्निरीक्षण, जनगणना व फोटो पहचानपत्र बनाने से संबंधित कार्य भी शिक्षकों को करने पड़ते हैं। इसके परिणामस्वरूप शिक्षकों का शैक्षणिक कार्य में योगदान गौण होकर स्कूलों के परिणाम खराब आ रहे हैं। उन्होंने शिक्षकों के साथ हो रहे शोषण व अन्याय को बंद करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि छुट्टियों में होने वाली परीक्षाएं व कार्य के लिए कोई वैकल्पित व्यवस्था बनाई जाए। शिक्षकों से छुट्टियों में कोई काम न लिया जाए। साथ ही अन्य विभागों की तर्ज पर शिक्षकों के लिए अर्जित अवकाश को बढ़ाकर तीस दिन किया जाए ताकि वे अपनी सामाजिक व पारिवारिक जिम्मेदारी निभा सकें। शिक्षकों को अभी अवकाश बीस दिनों का मिल रहा है।

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