दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शहीद भगत सिंह कॉलेज में फर्जी दाखिले का मामला एक गुमनाम चिट्ठी से खुला है। कॉलेज के एक अधिकारी को एक व्यक्ति ने गुमनाम चिट्ठी दी और कहा कि कॉलेज में दाखिले में फर्जीवाड़ा हो रहा है। इसके आधार पर गत वर्ष 36 फर्जी दाखिले पक ड़े गए थे।
दाखिले फर्जी ओबीसी सर्टिफिकेट पर कराए गए थे। इसके बाद यहां और फर्जी दाखिले के मामले सामने आने पर सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के माध्यम से जानकारी ली गई तो 26 और मामलों का खुलासा हुआ। 36 मामलों के संबंध में मालवीय नगर थाने में एफआइआर भी दर्ज कराई गई थी, लेकिन अब तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है। फर्जी सर्टिफिकेट बनवाने वाला मास्टरमाइंड पुलिस गिरफ्त से बाहर है। कॉलेज के एक अधिकारी का कहना है कि जो नए मामले सामने आए हैं, उस संबंध में आरटीआइ डालने वाले व्यक्ति से जानकारी लेकर जांच कर एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।
छात्रों को नहीं पता किस कोटे में मिला दाखिला
डीयू के कॉलेजों में दाखिले का सपना संजोने वाले छात्र जानबूझकर तो कभी अनजाने में दलालों के चक्कर में आ जाते हैं। जैसे सामान्य श्रेणी का छात्र मात्र कुछ नंबरों से कटऑफ के चलते दाखिले से चूक जाता है तो दलाल उससे संपर्क कर मैनेजमेंट कोटा या शिक्षक कोटा के तहत दाखिला कराने का आश्वासन देता है। वह छात्र से मूल प्रमाणपत्र ले लेता है। इसके बाद उसका फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर दूसरे छात्र को उसके स्थान पर खड़ा कर दाखिला करा देता है। बाद में उसका फोटो बदलवाकर मूल प्रमाणपत्र वाले छात्र को फीस की स्लिप देकर कॉलेज जाने के लिए कहता है।
कॉलेज स्टॉफ के शामिल होने का संदेह
फर्जी दाखिले के इस खेल में कॉलेज के नान टीचिंग स्टाफ (गैर शिक्षण कर्मचारी) के शामिल होने का शक है। पूर्व में आए 36 फर्जी दाखिलों के मामले में नान टीचिंग स्टॉफ को कारण बताओ नोटिस देने के बाद भी उन पर कार्रवाई नहीं हुई। कॉलेज सूत्रों का कहना है कि नामांकन के बाद आवेदन फार्म से फोटो बदलने का काम बिना इनकी सहायता से नहीं हो सकता।
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पिछले साल जब 36 फर्जी दाखिलों का खुलासा हुआ था तभी से यह शक था कि ऐसे मामले और भी हो सकते हैं। मामला सामने आने पर जान से मारने की धमकियां भी मिली हैं। फर्जी दाखिले की आशंका के बाद कई लोगों ने सूचना के अधिकार के तहत इसकी जानकारी मांगी। बाद में मीडिया रिपोर्ट आई कि 26 दाखिले और फर्जी हैं। हम इन मामलों को लेकर सतर्क हैं। कॉलेज प्रबंधन कार्रवाई जरूर करेगा।
-अरुण कुमार अत्री (जन सूचना अधिकारी और पूर्व चीफ कोआर्डिनेटर एडमिशन, शहीद भगत सिंह कॉलेज)
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दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी भी कॉलेज में मैनेजमेंट कोटा नहीं है। डीयू में पांचवें कटऑफ के बाद भी दाखिला होगा। ऐसे में कोई भी व्यक्ति यदि कम कटऑफ पर किसी भी कॉलेज में दाखिला दिलाने या किसी कोटे के तहत दाखिला दिलाने की बात करता है तो इसकी सूचना पुलिस को दें।
-प्रो. जेएम खुराना (डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर, डीयू)
दाखिले फर्जी ओबीसी सर्टिफिकेट पर कराए गए थे। इसके बाद यहां और फर्जी दाखिले के मामले सामने आने पर सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के माध्यम से जानकारी ली गई तो 26 और मामलों का खुलासा हुआ। 36 मामलों के संबंध में मालवीय नगर थाने में एफआइआर भी दर्ज कराई गई थी, लेकिन अब तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है। फर्जी सर्टिफिकेट बनवाने वाला मास्टरमाइंड पुलिस गिरफ्त से बाहर है। कॉलेज के एक अधिकारी का कहना है कि जो नए मामले सामने आए हैं, उस संबंध में आरटीआइ डालने वाले व्यक्ति से जानकारी लेकर जांच कर एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।
छात्रों को नहीं पता किस कोटे में मिला दाखिला
डीयू के कॉलेजों में दाखिले का सपना संजोने वाले छात्र जानबूझकर तो कभी अनजाने में दलालों के चक्कर में आ जाते हैं। जैसे सामान्य श्रेणी का छात्र मात्र कुछ नंबरों से कटऑफ के चलते दाखिले से चूक जाता है तो दलाल उससे संपर्क कर मैनेजमेंट कोटा या शिक्षक कोटा के तहत दाखिला कराने का आश्वासन देता है। वह छात्र से मूल प्रमाणपत्र ले लेता है। इसके बाद उसका फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर दूसरे छात्र को उसके स्थान पर खड़ा कर दाखिला करा देता है। बाद में उसका फोटो बदलवाकर मूल प्रमाणपत्र वाले छात्र को फीस की स्लिप देकर कॉलेज जाने के लिए कहता है।
कॉलेज स्टॉफ के शामिल होने का संदेह
फर्जी दाखिले के इस खेल में कॉलेज के नान टीचिंग स्टाफ (गैर शिक्षण कर्मचारी) के शामिल होने का शक है। पूर्व में आए 36 फर्जी दाखिलों के मामले में नान टीचिंग स्टॉफ को कारण बताओ नोटिस देने के बाद भी उन पर कार्रवाई नहीं हुई। कॉलेज सूत्रों का कहना है कि नामांकन के बाद आवेदन फार्म से फोटो बदलने का काम बिना इनकी सहायता से नहीं हो सकता।
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पिछले साल जब 36 फर्जी दाखिलों का खुलासा हुआ था तभी से यह शक था कि ऐसे मामले और भी हो सकते हैं। मामला सामने आने पर जान से मारने की धमकियां भी मिली हैं। फर्जी दाखिले की आशंका के बाद कई लोगों ने सूचना के अधिकार के तहत इसकी जानकारी मांगी। बाद में मीडिया रिपोर्ट आई कि 26 दाखिले और फर्जी हैं। हम इन मामलों को लेकर सतर्क हैं। कॉलेज प्रबंधन कार्रवाई जरूर करेगा।
-अरुण कुमार अत्री (जन सूचना अधिकारी और पूर्व चीफ कोआर्डिनेटर एडमिशन, शहीद भगत सिंह कॉलेज)
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दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी भी कॉलेज में मैनेजमेंट कोटा नहीं है। डीयू में पांचवें कटऑफ के बाद भी दाखिला होगा। ऐसे में कोई भी व्यक्ति यदि कम कटऑफ पर किसी भी कॉलेज में दाखिला दिलाने या किसी कोटे के तहत दाखिला दिलाने की बात करता है तो इसकी सूचना पुलिस को दें।
-प्रो. जेएम खुराना (डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर, डीयू)
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