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शिक्षकों की शीघ्र होगी नियुक्ति : शिक्षकों का ब्लॉग latest updates

रांची , राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया अंतिम चरण में है। कुछ तकनीकी व कानूनी समस्याएं थी जिसे दूर कर लिया गया है। अब जल्द ही नियुक्ति प्रक्रिया खत्म हो जाएगी। साथ ही शिक्षकों की पदोन्नति के मामले के पेंच को भी सुलझा लिया गया है। ये बातें शिक्षा सचिव अराधना पटनायक व राज्यपाल के ओएसडी (न्यायिक) नलिन कुमार ने कहा।
रविवार को आर्यभट्ट सभागार में रांची विवि के 55वें स्थापना दिवस के मौके पर वे बोल रहे थे। शिक्षा सचिव ने कहा कि चरणबध्द तरीके से नए पद भी सृजित होंगे। इसकी प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि विवि यूटिलाइजेशन समय पर नहीं देता है। राशि का उपयोग समय-सीमा में करें। राशि की कमी नहीं, बल्कि सोच व को-आर्डिनेशन की कमी है। विवि, सरकार व विभाग एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं और इसका खमियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। कहा, क्वालिटी एजुकेशन के लिए क्वालिटी शिक्षक की जरुरत है। शिक्षा सचिव ने कहा कि विवि से भेजे गए आर्कियोलॉजी विभाग खोलने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति मिल गई है। इधर विवि को कैंपस के लिए जल्द ही जमीन सौंप दी जाएगी। समारोह में उन विद्यार्थियों को भी सम्मानित किया गया जिन्होंने कॉलेजों में आयोजित निबंध लेखन व भाषण प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किये थे।
काम के साथ न्याय करें शिक्षक – एसएस मीणा : राज्यपाल के प्रधान सचिव एसएस मीणा ने कहा कि पैसा मिलता है तो काम के साथ न्याय करें। दुर्भाग्य यह है कि यहां काम को नहीं प्रवचन को महत्व दिया जाता है। उन्होंने कहा कि विवि द्वारा समय पर डिग्रियां नही दी जाती है। इसके लिए छात्रों को विवि के चक्कर लगाने होते हैं। इसी तरह लाइब्रेरी से नो ड््यूज कराने में काफी परेशानी होती है। होना तो यह चाहिए कि जिन्हें नो डयूज कराना है उनकी लिस्ट लाइब्रेरियन रखें और इनलोगों को छोड़कर सभी को नो डयूज की स्लिप मिल जानी चाहिए।
अध्यापन प्रोफेशन नहीं मिशन- प्रो. पी.एस. त्रिपाठी : मुख्य वक्ता कोलकोता विवि के प्रो. प्रेम शंकर त्रिपाठी ने कहा कि अध्यापन प्रोफेशन नहीं मिशन है। एक शिक्षक की कामना होती है कि उसका छात्र उससे आगे निकल जाए। हम शिक्षकों का उद्देश्य केवल वेतन न हो। यदि हमारे विद्यार्थी तेजस्वी न हों, वे हमें पराजित नहीं कर सके तो हमारे में कहीं कुछ कमी रह गई है। उन्होंने कहा कि स्वअध्याय व प्रवचन सबसे बड़ा तप है और यह प्राध्यापक करता है। हमें अपडेट रहना होगा। छात्रों से कहा कि वे भी समझें कि वे तपस्या करने आए हैं और तपस्या का प्रभाव व गुरु की कृपा हो तो सब कुछ संभव है। छात्रों में चारित्रिक, नैतिक व मानवबोध नहीं है तो सिर्फ डिग्री मिलने से क्या होगा। यह जिम्मेदारी शिक्षकों की बनती है। पश्चिम (विदेश) जाएं, लेकिन पूरब (अपना देश) को नहीं भूलें, क्योंकि सूर्य तो पूरब में उगता है, लेकिन पश्चिम में जाते ही डूब जाता है।
सौर ऊर्जा से विवि होगा जगमग -कुलपति : रांची विवि के कुलपति डॉ. रमेश पांडेय ने कहा कि राज्य सरकार को सुझाव दिया गया है कि विवि में सोलर पैनल लगे। इससे प्रतिवर्ष 60-65 लाख रुपये की बिजली खर्च बचेगी और कक्षा भी निर्बाध तौर पर चलेगी। राज्य सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है। इस पर अराधना पटनायक ने कहा कि प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए ऊर्जा विभाग इस पर जल्द काम करने का अनुरोध किया है। वीसी ने कहा कि सीए व आइटी के लिए नए विभाग खोलने व पद सृजित करने का अनुरोध किया है। इसी सत्र से दो शिफ्टों में कक्षा चलेगी। बीएड कॉलेज को मान्यता मिलेगी ताकि गरीब छात्र पढ़ सकें। स्वास्थ्य मंत्री से विवि कैंपस में स्वास्थ्य केंद्र खोलने पर बात हुई है। कहा, शीघ्र ही सीनेट की बैठक व समय पर छात्र संघ चुनाव होगा। इस बार 1200 छात्रों का कैंपस सेलेक्शन हुआ है अगले वर्ष 5000 का लक्ष्य है। ऐसा छात्र, शिक्षक, कर्मचारियों के सहयोग से संभव हुआ है। प्रोवीसी डॉ. एम. रजिउद्दीन ने कहा कि रांची विवि अब मात्र पांच जिलों तक सिमट गया है, लेकिन इसके अंग अपनी कीर्ति से देश-विदेश में खुशबू बिखेर रहे हैं। ऐसे ही लोगों से विवि का सुनहरा सफर जारी है।
अब नामांकन के लिए प्राचार्य को बंदूक दिखाते- प्रो. के.के. नाग : रांची विवि के पूर्व कुलपति डॉ. केके नाग ने कहा कि हमारे समय में प्राचार्य छात्र (छात्र काफी प्रतिभावान होते थे।) को हाथ पकड़ कर नामांकन के लिए ले जाते थे, लेकिन अब नामांकन के लिए प्राचार्य को बंदूक दिखाते हैं। आज मैं जो कुछ भी हूं यह रांची विवि की देन है। उन्होंने शिक्षकों की नियुक्ति व प्रोन्नति का जिम्मा कमीशन की बजाए कुलपतियों को देने की बात कही। नेट, जेट उत्तीर्ण नियुक्त किया जाए।
च्वाइस बेस्ड सिस्टम में जल्दीबाजी नहीं हो- प्रो. ए.ए. खान : रांची विवि के पूर्व कुलपति डॉ. एए खान ने कहा बदलाव हो रहा है। च्वाइस बेस्ड सिस्टम, सेमेस्टर सिस्टम आदि को लागू करने में जल्दीबाजी नहीं करें। पहले सभी पहलू को परख लें। शिक्षकों से कहा कि जब पढ़ा रहे हों तो छात्रों के मन में उठ रहे सवाल को पहचानें। गौरतलब है कि प्रो. खान के समय 50 विवि की रैकिंग में रांची विवि का 36वां स्थान था।
किताब का विमोचन : मौके पर एसएस मेमोरियल कॉलेज के शिक्षक डॉ. आनंद कुमार ठाकुर द्वारा लिखित पुस्तक ए प्रैक्टिस बुक आफ बायोकेमेस्ट्री का लोकार्पण अतिथियों ने किया। यह पुस्तक जेआरएफ व नेट परीक्षा को ध्यान में रखकर लिखा गया है। इसमें 1400 प्रश्नों का कलेक्शन है।
समारोह में इनकी रही मौजूदगी : रजिस्ट्रार डॉ. अमर कुमार चौधरी, सीबीएस को-आर्डिनेटर डॉ. अशोक चौधरी, डॉ. सतीशचंद्र गुप्ता, डॉ. जे.के. सिंह, डॉ. यूसी मेहता, डॉ. मंजु सिन्हा, डॉ. वीएस तिवारी, डॉ. जीएस तिवारी, डॉ. प्रकाश झा, डॉ. करमा उरांव, डा. सुनील अंकन, डॉ. मुकुंद चंद मेहता, डॉ. अशोक सिंह, डॉ. एम. आर्या, डॉ. आशीष झा, वीरेंद्र पांडेय, राकेश कुमार, ए. दीवान, सिस्टर डा. ज्योति आदि थे। संचालन डॉ. कमल कुमार बोस ने किया।

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