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उद्योगों के विरोध के बाद अटक गई सीएसआर शिक्षकों की भर्ती : शिक्षकों का ब्लॉग latest updates

उद्योगों के विरोध के बाद जिले में सीएसआर फंड से होने जा रही शिक्षकों की भर्ती एक बार फिर अटक गई है। कोल ब्लाक आबंटन के बाद मंदी की मार झेल रहे उद्योग प्रबंधनों ने प्रशासन द्वारा दिए गए टार्गेट को पूरा करने में हाथ खड़े कर दिए हैं।, जिसके बाद शिक्षा विभाग अब स्कूलों में विषयवार रिक्तियों की दोबारा से सूची बना रहा है। जिले में कोल ब्लाक आबंटन के बाद मंदी जैसी मार झेल रही कंपनियां अब सीएसआर फंड से घबराने लगी हैं। जिला प्रशासन द्वारा सीएसआर कोटे से 791 शिक्षकों की भर्ती करने के आदेश दिए गए थे
और जिले में 10 कंपनियों को इसका जिम्मा देकर 31 जुलाई तक भर्ती प्रक्रिया पूरी करने कहा था लेकिन अंबुजा और नलवा कंपनी के बाद दूसरे उद्योग प्रबंधनों ने भी इतनी बड़ी संख्या में भर्ती करने में असमर्थता जता दी है और कोयले की कमी तथा उद्योगों की आर्थिक हालात ठीक नहीं होने को कारण बताकर अपनी मजबूरी जता दी है। जिसके बाद जिला प्रशासन ने भी शिक्षा विभाग को स्कूलों में दर्ज संख्या के हिसाब से विशेषज्ञ शिक्षकों की आवश्यकता के संबंध में नए सिरे से जानकारी मांगी है ओर इसके लिए दोबारा से सूची बनाने के निर्देश दिए हैं। नई बनने वाली सूची में सीएसआर शिक्षकों की संख्या भी घटकर 500 तक पहुंचने की बात डीइओ कह रहे हैं व आर्ट्स, हिंदी, संस्कृत जैसे विषयों को छोड़कर अब केवल साइंस, मैथ्स, अंग्रेजी व कामर्स जैसे विषयों में सीएसआर टीचर को प्राथमिकता दी जाएगी। जबकि इससे पहले फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायो, इकॉनामिक्स इतिहास,भूगोल,विज्ञान,गणित,कामर्स,अंग्रेजी व हिंदी के लिए 791 सीएसआर शिक्षकों की भर्ती करने का आदेश दिया गया था।

विषयवार प्राथमिकता

सीएसआर शिक्षकों की भर्ती के लिए अब स्कूलों में दर्ज संख्या के हिसाब से विषय विशेषज्ञों की भर्ती की जाएगी और आर्ट्स व हिंदी जैसे सब्जेक्ट की जगह साइंस मैथ्स व दूसरे कठिन विषयों को प्राथमिकता देंगे। इसमें कितना समय लगेगा यह बताना मुश्किल है। समय रहते सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। मनीन्द्र श्रीवास्तव, डीइओ

आरक्षण के कारण खाली पड़े हैं पद

शिक्षाकर्मियों की भर्ती में आरक्षण के कारण भी विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की सीटे खाली रह जाती है। सामान्य वर्ग में तो साइंस मैथ्स और अंग्रेजी के शिक्षक आसानी से मिल जाते हैं लेकिन एससी एसटी च ओबीसी में हर बार इन विषयों के शिक्षक आनुपातिक मात्रा में नहीं मिल पाते हैं। जिले में भी करीब 443 बैकलाग के पद खाली पड़े हैं। साल 2004 से पहले ऐसे मामलों में वर्ग वार उम्मीदवार नहीं मिलने पर सामान्य वर्ग से भर्ती कर ली जाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। जिससे सरकारी स्कूलों में इन विषयों के शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं।

जेएसपीएल रायगढ़ 60

कोरबा वेस्ट पुसौर 33

एमएसपी, एसकेएस सारंगढ़ 54

अंबुजा बरमकेला 45

टीआरएन घरघोड़ा 71

नलवा खरसिया 98

हिंडाल्को लैलूंगा 135 मोनेट तमनार 88

जेपीएल धरमजयगढ़ 207

कुल 791 शिक्षक

इन उद्योगों

को मिली थी

जिम्मेवारी

आंकड़ों में उलझा शिक्षा विभाग

पूर्व में शिक्षा विभाग ने विषय वार 791 रिक्त शिक्षकों की संख्या प्रशासन को बताई थी लेकिन अब उद्योगों के विरोध के बाद विभाग स्कूलों में छात्रों की दर्ज संख्या के साथ आनुपातिक रूप से भर्ती की जाने वाले शिक्षकों की सूची बना रहा है और इसमें कितना समय लगेगा इसका कोई जवाब विभाग के पास नहीं है।

स्लाेडाउन से सीएसआर को झटका

स्टील और पावर सेक्टर में कोल ब्लाक आबंटन के बाद स्लोडाउन वाले हालात हो गए हैं। जिले में जिंदल ग्रुप से तीनों माइंस छिने जाने के बाद कंपनी की फाइनेंशियल स्टेटस अच्छी नहीं है। मोनेट में भी अमूमन यही हालात है और इन सबसे बाकी छोटे ग्रुप पर भी असर पड़ रहा है। यही कारण है कि कंपनियां सीएसआर फंड के लिए खर्च करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हो रही हैं।

हिंदी, अंग्रेजी व आर्ट्स में होगी परेशानी

सीएसआर कोटे के लिए अब जो शिक्षा विभाग सूची बना रहा है। उसमें आर्ट्स,हिंदी और संस्कृत के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जाएगी और साइंस, मैथ्स, इंग्लिश के साथ कामर्स के ही टीचर अपाइंट किए जाएंगे। जिससे पूर्व में सीएसआर कोटे से जो 791 टीचर की संख्या बताई गई थी। वह भी घटकर करीब 500 तक सिमट जाएगी। 


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