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शिक्षक हैं, लेकिन सालों से नहीं पढ़ाया पाठ : शिक्षकों का ब्लॉग latest updates

अमर उजाला, देहरादून पदनाम शिक्षक, काम बच्चों को पढ़ाना, नियुक्ति भी बच्चों को पढ़ाने के लिए सहायक अध्यापक के पद पर स्कूलों में हुई। इसके बाद दस या इससे भी अधिक वर्षों से बच्चों को एक पाठ भी नहीं पढ़ाया। इक्का-दुक्का नहीं, बल्कि 13 जिलों में करीब 1250 शिक्षकों का यह हाल है। शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए विभाग ने इन्हें ब्लॉक और संकुल समन्वयक बनाया था, लेकिन एक बार इसमें तैनाती के बाद ये शिक्षक फिर मूल तैनाती पर नहीं लौटे।
विभाग ने इनमें से अब 58 का कार्य संतोषजनक न पाए जाने पर इन्हें मूल तैनाती (स्कूलों) में भेजने के निर्देश दिए हैं। 
शिक्षकों को पढ़ाने में सहयोग करने ओर शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रदेश में वर्ष 2003-04 में प्राथमिक एवं जूनियर हाईस्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे सैकड़ों शिक्षकों को सीआरसी, बीआरसी और एबीआरसी के पद पर रखा गया था।

हैरानी की बात यह है कि वर्षों से नियुक्त सीआरसी, बीआरसी और एबीआरसी को जब भी मूल तैनाती पर भेजने के प्रयास हुए, उनकी ओर से इस पर रोक के लिए शासन पर दबाव बनाया गया। जिससे इन्हें मूल तैनाती पर भेजने का मामला लटकता रहा है।

डी सेंथिल पांडियन के विभाग का नया महानिदेशक बनने के बाद उन्होंने प्रदेश के समस्त मुख्य शिक्षा अधिकारियों, प्राचार्य डायट और जिला शिक्षा अधिकारियों की गठित संयुक्त कमेटियों को इनके कार्य की समीक्षा के निर्देश दिए थे।

शिक्षा महानिदेशक ने कहा कि कमेटी द्वारा की गई समीक्षा में 51 सीआरसी, छह एबीआरसी और एक बीआरसी समन्वयक का कार्य संतोषजनक नहीं मिला। जिन्हें समन्वयक के पद से मुक्त करते हुए मूल तैनाती पर भेजने के निर्देश दिए गए हैं। शिक्षा महानिदेशक ने कहा कि सीआरसी और बीआरसी के समय-समय पर समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं।

पूर्व में सीएम तक को हस्तक्षेप करना पड़ा
बीआरसी, सीआरसी को मूल तैनाती पर भेजने का मामला पिछले दो साल से अधिक समय से लटका है। कई बीआरसी, सीआरसी किसी भी सूरत में मूल तैनाती पर जाने को तैयार नहीं हैं। पूर्व में इसके लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत तक को हस्तक्षेप करना पड़ा था।

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