छात्र-शिक्षक अनुपात झारखंड में सबसे खराब
मापदंड के अनुरूप 15 विद्यार्थी पर हो एक छात्र
रांची : झारखंड के विश्वविद्यालय व कॉलेजों में छात्र के अनुपात में
शिक्षक की स्थिति देश में सबसे खराब है. देश के किसी भी अन्य राज्य में
उच्च शिक्षा में छात्र-शिक्षक के अनुपात की यह स्थिति नहीं है. उक्त बातें
शुक्रवार को गुणवत्ता युक्त उच्च शिक्षा को लेकर आयोजित कार्यशाला में उभर
कर सामने आयी.
झारखंड के विश्वविद्यालय व कॉलेजों में 200 छात्र पर एक शिक्षक हैं.
गुणवत्ता युक्त उच्च शिक्षा के लिए इसमें सुधार काफी आवश्यक है. राष्ट्रीय
उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत राशि के लिए शिक्षक-छात्र का अनुपात मापदंड के
अनुरूप होना आवश्यक है. मापदंड के अनुरूप 15 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक
का होना अनिवार्य है.
राज्यों ने छात्र- शिक्षक का अनुपात मापदंड के अनुरूप करने का आश्वासन
दिया है. झारखंड में अब तक मात्र एक बार कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति
हुई है. कई विषयों में कॉलेजों में एक भी शिक्षक नहीं हैं. विवि में
शिक्षकों के आधे पद रिक्त हैं. झारखंड के मात्र 15 कॉलेज नैक से मान्यता
प्राप्त हैं. राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत जो कॉलेज नैक से
मान्यता प्राप्त हैं या मान्यता के लिए प्रक्रिया शुरू किया है, उन्हीं
कॉलेजों को प्रथम चरण में राशि दी जायेगी.
राज्य में उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए पर्याप्त सीट भी नहीं हैं.
झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा ली जाने वाली इंटरमीडिएट परीक्षा में प्रति
वर्ष लगभग 3.25 लाख परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल होते, पर विवि में
स्नातक स्तर पर 1.50 लाख सीट है. इस कारण भी विद्यार्थी को उच्च शिक्षा
प्राप्त करने में कठिनाई होती है.
झारखंड के सभी जिलों में अभी तक सरकारी कॉलेज नहीं है. दस जिलों में
महिला कॉलेज नहीं है. राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत झारखंड में 11
मॉडल कॉलेज खोलने को स्वीकृति दी गयी है, पर अब तक एक भी कॉलेज नहीं बना
है. वर्ष 2015-16 में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत झारखंड द्वारा
182 करोड़ रुपये की मांग की गयी है.
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