भोपाल। प्रदेश में शिक्षकों की बुद्धिमत्ता परीक्षा लेकर अपमानित
करने और गैर शिक्षकीय कार्य करवाने का विरोध जारी है। मप्र शिक्षक कांग्रेस
के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रदेश के पांच लाख शिक्षकों को शौचालय
निर्माण, मध्याह्न भोजन व्यवस्था, जाति प्रमाण-पत्र, स्कॉलरशिप बांटने जैसे
गैर शिक्षकीय कार्यों में लगा रखा है। अब दूध वितरण कार्य में भी लगा दिया
गया है, जिससे उनकी गरिमा कम हो रही है।
साथ ही वे अपने मूल कार्य शिक्षण को समय नहीं दे पा रहे हैं। ऐसी स्थिति
में शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त है और वे आंदोलन की राह पकड़ रहे हैं।
शिक्षक कांग्रेस के प्रमुख महामंत्री आशुतोष पांडे ने बताया कि गत दिवस ही
इन समस्याओं को लेकर संगठन द्वारा मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारियों को
ज्ञापन सौंपा जा चुका है। यदि जल्द समस्याएं नहीं सुलझाई गईं तो शिक्षक
आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
प्रदेश में डेढ़ लाख शिक्षकों की कमी सत्तर प्रतिशत प्राचार्यों एवं
हेडमास्टर के पद प्रमोशन न होने से खाली हैं। एक हजार स्कूलों में शिक्षक
नहीं हैं। इससे पढ़ाई ठप है। रिजल्ट बिगड़ रहा है और अभिभावक सरकारी
स्कूलों में बच्चों को नहीं पढ़ाना चाहते। इसलिए समस्याएं दूर कर स्कूलों
में शिक्षकों को पहुंचने में सहयोग करें, तब ही अच्छे रिजल्ट आ सकेंगे और
उनमें बच्चों की संख्या बढ़ सकेगी। मांग करने वालों में शिक्षक कांग्रेस के
कार्यकारी प्रांताध्यक्ष रामनरेश त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष अरशद अली, सचिव
गिरीश हिदायत भी शामिल हैं।
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