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बुल्लावाला प्रकरण: संगठन की भूमिका से खुश नहीं शिक्षक : शिक्षकों का ब्लॉग latest updates

देहरादून: आमतौर पर किसी भी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई होने पर प्रदेशभर के शिक्षक एकजुट हो जाते हैं। उस पर भी मामला राजकीय शिक्षक संघ के पदाधिकारी से जुड़ा हो तो बड़े स्तर पर विरोध स्वाभाविक है। लेकिन राइंका बुल्लावाला के मामले में ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। उल्टा ज्यादातर शिक्षक इस कार्रवाई को सही बताते हुए अधिकारियों का समर्थन कर रहे हैं। यहां तक कि ज्यादातर शिक्षक अपने नेताओं को कोसने से भी नहीं चूक रहे हैं।
राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश प्रवक्ता अजय राजपूत के समायोजन के बाद यह विवाद शुरू हुआ। विभाग ने राइंका बुल्लावाला में चार शिक्षक सरप्लस बताते हुए उन्हें अन्य विद्यालयों में समायोजित कर दिया। इनमें अजय राजपूत भी शामिल थे। अजय राजपूत और अन्य तीन शिक्षकों ने इस मामले में विद्यालय की छात्र संख्या गलत दर्ज होने का दावा किया। उन्होंने कहा कि विद्यालय की छात्र संख्या गलत दर्ज होने के कारण सरप्लस शिक्षक की बात सामने आई है, जबकि सच्चाई यह है कि स्कूल में शिक्षक अधिक नहीं है। इस पर शिक्षा मंत्री ने चारों शिक्षकों का समायोजन निरस्त कर दिया। अगले दिन महानिदेशक ने चारों शिक्षकों को सस्पेंड किया। हालांकि दूसरे ही दिन शिक्षा मंत्री ने निलंबन बहाल करने के निर्देश दिए। इस पूरे मामले में महानिदेशक और मंत्री के बीच तलवारें खिंच गई।
इस सब से अलग साइबर वर्ल्ड में आम शिक्षक हर घटना पर नजरें गढ़ाए बैठे रहे। टीवी चैनल और अखबारों के साथ ही सोशल साइटों पर मुद्दे ने जोर पकड़ा तो शिक्षकों ने प्रतिक्रिया भी व्यक्त की। फेसबुक और अन्य सोशल साइटों पर अधिकांश शिक्षक कार्रवाई को सही बताते हुए महानिदेशक का समर्थन कर रहे हैं। यही नहीं। शिक्षक अपने नेताओं को भी पानी पी-पीकर कोस रहे हैं। शिक्षा विभाग में संभवत: यह पहला मौका होगा जब ज्यादातर शिक्षक अपने साथियों पर हुई कार्रवाई का समर्थन कर रहे हों।
शिक्षक नेता मौन

इस पूरे मामले में ज्यादातर शिक्षक नेता अभी तक मौन साधे हुए हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण संघ के चुनाव हैं। जल्द ही संघ के चुनाव हैं। ऐसे में कोई भी शिक्षक नेता इस मामले में अपनी जुबान खोलने को तैयार नहीं है। आम शिक्षकों में विरोध को देखते हुए नेता खुलकर पीड़ित शिक्षकों के पक्ष में बोलने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं। विवाद से बचने के लिए ज्यादातर शिक्षक नेताओं ने इस मामले में चुप्पी साधने में ही भलाई समझी है।
चुप नही बैठेगा संघ

राजकीय शिक्षक संघ ने इस मामले में चुप न बैठने की चेतावनी दी है। प्रांतीय अध्यक्ष करनैल सिंह के हवाले से भेजे गए पत्र में प्रवक्ता अजय राजपूत ने शिक्षकों के खिलाफ हुई कार्रवाई को गलत बताया है। उन्होंने पूरे मामले में शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई होने पर आन्दोलन छेड़ने की चेतावनी दी है।
मैं पूरी तरह निर्दोष

इस पूरे प्रकरण के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में रहे राजकीय शिक्षक संघ के प्रवक्ता अजय राजपूत ने खुद को पूरी तरह निर्दोष बताया है। उन्होंने कहा कि विभागीय जांच में वह पाक-साफ निकले हैं। सीबीसीआईडी के सम्मुख नाबालिग और उसके पिता ने भी राजपूत को क्लीन चिट दी है। उन्होंने कहा कि छात्र संख्या गलत दर्ज होने के कारण उनको सरप्लस दिखाकर समायोजित किया गया।
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