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बांका में और बढ़ेगी फर्जी शिक्षकों की तादात

बांका। बांका में फर्जी शिक्षकों की तादात छह सौ से बढ़कर अब हजार पार कर सकती है। इसके बावजूद फर्जी शिक्षकों का इस्तीफा अब तक रफ्तार नहीं पकड़ सका है। हाईकोर्ट के निर्देश पर सरकार ने इसके लिए नौ जुलाई का डेटलाइन जारी कर रखा है। फर्जीवाड़ा का असली मामला अब पंचायत और प्रखंड शिक्षकों के प्रमाण पत्र सत्यापन का काम शुरू होने पर सामने आ रहा है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो फर्जी प्रमाण पत्र का सत्यापन कर रही है। अब तक उच्च माध्यमिक और माध्यमिक शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र सत्यापन के दौरान फर्जीवाड़ा का बहुत कम मामला सामने आने पर निगरानी टीम हताश हो गयी थी।
लेकिन, प्रखंड और पंचायत शिक्षकों का प्रमाण पत्र उनके पास आना शुरू होते ही टीम की बांछे खिल गयी है। प्रमाण पत्र उनके हाथ लगते ही बड़ी संख्या में शिक्षकों का प्रमाण पत्र फर्जी दिख रहा है। फर्जी प्रमाण पत्र की पकड़ तो शैक्षणिक संस्थान से जांच प्रतिवेदन आने के बाद साबित होगा। लेकिन, अमान्य शिक्षण संस्थानों की डिग्री अभी ही इसकी कहानी खोल रही है। अब तक निगरानी सेल को जिन प्रखंडों का प्राथमिक और मध्य विद्यालय शिक्षक का सत्यापित प्रमाण पत्र मिला है, इसमें अमान्य संस्थान के प्रमाण पत्रों की संख्या सैकड़ों में पहुंच गयी है। सरकार ने पूर्व में ही नियोजन समिति को इन शिक्षण संस्थानों की डिग्री को शिक्षक नियोजन में शामिल नहीं करने का आदेश जारी कर रखा है। इसके बावजूद नियोजन समिति ने स्थानीय स्तर पर मिलीभगत कर अमान्य संस्थान वाले डिग्रीधारी को भी शिक्षक पद पर नियोजित कर लिया। ऐसे में बांका में तीन-चार सौ शिक्षक तो केवल अमान्य शिक्षण संस्थान की डिग्री वाले मिल जाएंगे। जिनकी विदाई के साथ कार्रवाई अब तय है। फिर अंक पत्र में हेराफेरी या स्कैन वाला अंक पत्र, टीईटी प्रमाण पत्र का फर्जीवाड़ा जांच में भी बड़ी संख्या में शिक्षक धरे जाएंगे। अमान्य संस्थानों में सबसे ज्यादा सीबीएचई दिल्ली, देवघर हिंदी विद्यापीठ, मंदार विद्यापीठ, हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा का प्रमाण पत्र बांका में जमा हो रहा है।
अब इस्तीफा ऑफर ही आखिरी रास्ता
अमान्य और फर्जी डिग्री वाले शिक्षकों के पास इस संकट से निकलने के लिए अब एक मात्र रास्ता इस्तीफा का रह गया है। हाईकोर्ट के निर्देश पर सरकार ने इस्तीफा का यह ऑफर नौ जुलाई तक दे रखा है। नौ जुलाई की शाम पांच बजे तक नियोजन समिति के पास अपना इस्तीफा स्वीकार कराने पर शिक्षक पर ना कोई कानूनी कार्रवाई होगी ना ही उनसे राशि वसूल की जाएगी। लेकिन, नौ जुलाई के बाद निगरानी शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांच कार्य को तेज कर देगा। उम्मीद है कि जुलाई अंत से मध्य अगस्त तक सभी प्रमाण पत्र की जांच भी पूरी कर ली जाय। इसके बाद इन शिक्षकों पर निगरानी का मुकदमा लदेगा। निगरानी अधिकारी के मुताबिक ऐसे मामले में 20 साल की सजा दी जाती है। इससे इतर विभाग अलग से अब तक वेतन में उठायी गयी राशि की वसूली भी करेगी। राशि वसूली नहीं होने पर निगरानी उनकी संपत्ति जब्त करेगी।
क्या कहते हैं अधिकारी
अमान्य संस्थान की बहाली नहीं करने का पहले से विभागीय आदेश है। अगर किसी नियोजन समिति ने ऐसा किया है तो इसमें समिति सदस्य दोषी होंगे। इस संबंध में दो दिनों की पटना में निगरानी के साथ विभागीय बैठक गुरूवार से होनी है। इसके बाद कार्रवाई तेज की जाएगी।
अब्दुल मोकीत, डीपीओ सह नोडल पदाधिकारी, निगरानी जांच,बांका

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