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शिक्षाविदों ने पहली से आठवीं तक फेल न करने की प्रथा का किया विरोध : शिक्षकों का ब्लॉग latest updates

शिक्षाविदों ने पहली से आठवीं तक फेल न करने की प्रथा का किया विरोध
पैंतीस नहीं, 50 फीसदी किए जाएं पास मार्क्स
शिमला। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षाविद स्कूल और कॉलेजों में पास मार्क्स 35 फीसदी की बजाय 50 फीसदी करने के हक में हैं। उन्होंने तर्क दिया है कि अधिकांश बच्चे 35 फीसदी मार्क्स लाने से ज्यादा सोचते भी नहीं हैं। ऐसे में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। उन्होंने पहली से आठवीं तक फेल न करने की प्रथा का विरोध किया। कहा कि नौवीं और दसवीं कक्षा में रिजल्ट कम आने का यह भी एक बड़ा कारण है।
आठवीं तक दोबारा से परीक्षा पैटर्न शुरू होना चाहिए। केंद्र के आदेशानुसार प्रदेश सरकार नई शिक्षा नीति बनाने में जुट गई है। शुक्रवार को शिमला में कॉलेज प्रिंसिपलों सहित शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में नई शिक्षा नीति बनाने पर चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा पीसी धीमान ने की। इसमें कई सुझाव दिए गए। इन पर शिक्षा विभाग प्रस्ताव तैयार करेगा। इसे सरकार को भेजा जाएगा। सरकार से मंजूरी के बाद केंद्र को नई शिक्षा नीति के लिए हिमाचल की राय भेजी जाएगी।
बैठक में अतिरिक्त सचिव डीसी राणा, स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर आरएमएसए, एसएसए घनश्याम चंद, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आरके परुथी, संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा बीएल विंटा, डा. तिलकराज सहित कई उपनिदेशक और एससीईआरटी, डाइट और आईटीसी के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
ये दिए गए सुझाव
•वार्षिक परीक्षा में पास मार्क्स 35 की बजाय 50 फीसदी किए जाएं।
•पहली से आठवीं कक्षा तक परीक्षा पैटर्न दोबारा शुरू हो।
•शिक्षक बनने के लिए ग्रेजुएशन की डिग्री न्यूनतम रखी जाए।
•शिक्षकों को कम से कम तीन से चार साल की ट्रेनिंग दी जाए।
•शिक्षकों का हर साल प्रोफेशनल डेवलपमेंट का कोर्स हो।
•देख-रेख के अभाव में आईसीटी लैब खराब, इन्हें सुधारा जाए।
•आईसीटी लैब में प्रशिक्षित शिक्षकों और स्टाफ की नियुक्ति हो।
•भाषा को विषय की तरह नहीं, भाषा की तरह ही पढ़ाया जाए।
•विज्ञान और गणित विषय को रोचक बनाकर पढ़ाया जाए।
•रट्टा लगाने की प्रथा खत्म हो, सहज समझने को प्रोत्साहित करें।
•प्राथमिक स्कूलों में विषय विशेषज्ञ को तैनात किया जाए।
•अंग्रेजी मीडियम को पहली कक्षा से शुरू करना चाहिए।
•पहली कक्षा से ही लर्निंग के साथ-साथ राइटिंग पर भी जोर दें।
•परीक्षा में आईआईटी, पीएमटी की तरह रिजनिंग प्रश्न शामिल हाें।
•कॉलेजों में 40 बच्चों पर एक शिक्षक हो, शिक्षकों की जवाबदेही तय हो।
•कॉलेजों को नैक से मान्यता लेना अनिवार्य किया जाए।
•रूसा को बेहतर बनाने के लिए कालेजाें-विवि में सामंजस्य होना चाहिए।
•कम से कम दो साल बाद स्कूल, कॉलेजों, विवि में सिलेबस अपडेट हों।
•समय की मांग के अनुसार कॉलेजों में नए-नए कोर्स शामिल किए जाएं।
नई शिक्षा नीति को लेकर शिमला में किया गया मंथन
शिक्षाविद बोले, आठवीं तक फिर शुरू हो परीक्षा पैटर्न
शिक्षा में गुणवत्ता लाने को विशेषज्ञों ने दिए कई सुझाव
सुझावों पर चर्चा के बाद प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा
कॉलेज प्रिंसिपलों समेत शिक्षा विभाग के अफसर रहे मौजूद
पैंतीस फीसदी नंबरों का बीएड में प्रवेश का विरोध
कॉलेज प्रिंसिपलों और उपनिदेशकों ने बीएड की प्रवेश परीक्षा में 35 फीसदी अंक लेने वालों को भी कोर्स करने का मौका देने का विरोध किया। कहा गया कि इन्हीं कारणों से शिक्षा का स्तर गिर रहा है।

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