शिमला। हिमाचल के सरकारी स्कूलों में नियुक्त 15 हजार से अधिक अस्थायी शिक्षकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अब 22 सितंबर तक टल गई है। बेरोजगार जेबीटी की याचिका पर सोमवार को यह केस सुनवाई के लिए लगा था।
सोमवार को राज्य सरकार ने अपना जवाब हल्फनामे के जरिए कोर्ट के सामने रखा है। पीटीए, पैरा और प्राथमिक सहायक अध्यापकों यानी पैट ने भी अपना जवाब रजिस्ट्रार कोर्ट में दर्ज करवा दिया, लेकिन केस में प्रतिवादी नंबर 7 ग्रामीण विद्या उपासकों और कुछ पैरा अध्यापकों, जिन्होंने अलग से हिमाचल हाईकोर्ट में केस लड़ा था, उनके जवाब अभी दाखिल नहीं हुए थे, इसलिए कोर्ट ने अगली सुनवाई 22 सितंबर को तय की।
सोमवार को राज्य सरकार ने अपना जवाब हल्फनामे के जरिए कोर्ट के सामने रखा है। पीटीए, पैरा और प्राथमिक सहायक अध्यापकों यानी पैट ने भी अपना जवाब रजिस्ट्रार कोर्ट में दर्ज करवा दिया, लेकिन केस में प्रतिवादी नंबर 7 ग्रामीण विद्या उपासकों और कुछ पैरा अध्यापकों, जिन्होंने अलग से हिमाचल हाईकोर्ट में केस लड़ा था, उनके जवाब अभी दाखिल नहीं हुए थे, इसलिए कोर्ट ने अगली सुनवाई 22 सितंबर को तय की।
यह जवाब दायर होने के बाद केस पर बहस शुरू होगी। गौरतलब है कि इन अस्थायी शिक्षकों को बैक डोर एंट्री बताते हुए बेरोजगार जूनियर बेसिक टीचर्स ने यह याचिका दायर की है। इसमें हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है, जो अस्थायी शिक्षकों के पक्ष में था। याचिकाकर्ता का कहना है कि आरटीई लागू होने के बाद किसी भी तरह की बैक डोर एंट्री मान्य नहीं होनी चाहिए, जबकि राज्य सरकार पीटीए शिक्षकों को अनुबंध पर लेकर नियमित करना चाह रही है। इस बारे में राज्य सरकार ने फैसला ले भी लिया है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि यदि ऐसा किया गया तो यह भविष्य के लिए गलत चलन होगा।
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