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एक गिरफ्तार, पूर्व कुलपति डॉ. अहलावत को भी लेंगे हिरासत में : शिक्षकों का ब्लॉग latest updates

भास्कर संवाददाता | उज्जैन विक्रम विवि में करीब 6 साल पहले फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार करने के मामले में माधवनगर पुलिस ने शनिवार को एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही डॉ. पवनेंद्रनाथ तिवारी को व्याख्याता के पद से बर्खास्त किया गया था। मामले में आरोपी बनाए गए पूर्व कुलपति डॉ. एसपीएस अहलावत सहित अन्य आरोपियों की भी जल्द गिरफ्तारी होगी।
मामला लगभग 6 वर्ष पुराना है। विक्रम विश्वविद्यालय की भूगर्भ अध्ययनशाला में तत्कालीन व्याख्याता डॉ. पवनेंद्रनाथ तिवारी के खिलाफ पीएचडी की नकल के आरोप लगाकर दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे। तिवारी के अनुसार मुकेश कुमार नामक व्यक्ति के नाम से यह शिकायत हुई। उन्होंने अपने स्तर पर जांच की तो शिकायत फर्जी पाई गई। वर्ष 2009 में हुई फर्जी शिकायत के आधार पर तत्कालीन कुलपति डॉ. शिवपाल सिंह अहलावत ने उन्हें निष्कासित कर दिया था। मामले में डॉ. तिवारी ने विश्वविद्यालय सहित पुलिस के अन्य अधिकारियों को भी फर्जी दस्तावेजों को तैयार करने की शिकायत की लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस की ओर से कार्रवाई नहीं करने पर वर्ष 2011 में ही डॉ. तिवारी ने कोर्ट में याचिका दायर की। न्यायालय के आदेश पर डॉ. अहलावत, तत्कालीन डीसीडीसी डॉ. गोपालकृष्ण उपाध्याय, नोटरी तस्लीम जैदी सहित 5-6 अन्य लोगों के खिलाफ माधवनगर पुलिस ने अपराध क्रमांक 577/11 में विभिन्न धाराओं के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया था।

लगभग चार साल पहले एफआईआर होने के बावजूद पुलिस ने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। हाल ही में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। माधवनगर थाने के एसआई जीएस गोहर ने बताया फर्जी तरीके से कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के मामले में चंद्रप्रकाश उर्फ चंदू पिता गणपतलाल यादव निवासी ऋषिनगर को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। जल्द ही चंदू को न्यायालय में पेश किया जाएगा। गोहर के अनुसार मामले में आरोपी बनाए गए डॉ. अहलावत सहित अन्य आरोपियों की भी जल्द गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। डॉ. अहलावत के संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है। जानकारी मिलने के बाद उनकी गिरफ्तारी के लिए दल रवाना किया जाएगा।

विवादित रहा डॉ. अहलावत का कार्यकाल

विक्रम विवि में 18 फरवरी 2009 को कुलपति बनाए गए डॉ. अहलावत का कार्यकाल काफी विवादित रहा। इस दौरान विवि के शिक्षक संघ पदाधिकारियों के साथ भी उनकी जमकर बहस हुई थी। डॉ. तिवारी उस समय शिक्षक संघ के पदाधिकारी थे। डॉ. अहलावत के सख्त रवैये आैर विवादित बयानों के कारण वे लगातार चर्चा में रहे। धार्मिक नगरी उज्जैन को लेकर भी उन्होंने विवादित बयान दिया था, जिसको लेकर बुिद्धजीवी वर्ग और हिंदुवादी संगठनों के नेता भी उनके खिलाफ हो गए। विवि के अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक आैर विद्यार्थी संगठनों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। लगातार विरोध आैर कुशासन के चलते राजभवन ने 30 अगस्त 2010 को उन्हें हटाकर विश्वविद्यालय में धारा-52 लगा दी थी। उनके कार्यकाल में विवि में चैनलों पर ताले भी लगाए गए। कोई भी आम विद्यार्थी उनसे नहीं मिल सकता था। 


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