राज्य ब्यूरो, देहरादून
शिक्षा महकमे में समायोजित होने का इंतजार कर रहे 910 शिक्षा आचार्यो-अनुदेशकों को अभी इंतजार करना होगा। राज्य मंत्रिमंडल ने उनके संबंध में प्रस्ताव को महकमे को लौटा दिया है। इसे अगली कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। इसीतरह रमसा में आउटसोर्सिग पर कार्यरत 1831 कर्मचारियों का मामला भी अगली कैबिनेट में आएगा। इसके लिए शासन ने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से छह बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है। अलबत्ता, 29300 भोजनमाताओं को अब एक माह का अतिरिक्त मानदेय मिल सकेगा।
राज्य मंत्रिमंडल में शिक्षा से संबंधित मामलों पर तकरीबन आधा दर्जन प्रस्तावों पर चर्चा हुई, लेकिन अधिकतर मामलों पर ठोस फैसला नहीं हो सका। इन्हें अगली कैबिनेट बैठक में लाने पर सहमति ही बन पाई। 910 शिक्षा आचार्यो और अनुदेशकों को महकमे में समायोजित करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा जा चुका है। फिलहाल केंद्र की ओर से अनुमति नहीं मिलने के कारण उक्त प्रस्ताव को आगे के लिए खिसका दिया गया है। कमोबेश यही स्थिति रमसा में कार्यरत रहे आउटसोर्स कर्मचारियों को झेलनी पड़ी। उन्हें विद्यालयों में पद सृजित कर नियमित नियुक्ति के लिए वेटेज देने का फैसला तो लिया गया, लेकिन यह मसला भी अगली कैबिनेट में रखा जाना है। फिलहाल शासन ने उन्हें बहुद्देश्यीय कर्मचारियों के तौर पर आउटसोर्सिग में समायोजित करने के महकमे के प्रस्ताव को नहीं माना। शासन ने छह बिंदुओं पर महकमे से जानकारी मांगी है। इस जानकारी के मिलने के बाद शासन आगे की योजना पर कदम आगे बढ़ा सकेगा।
सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों में मानदेय पर कार्यरत पीटीए शिक्षकों को तदर्थ नियुक्ति देने में भी पेच फंस गया। इनके बारे में भी अगली कैबिनेट बैठक में चर्चा होने की बात कही जा रही है। अलबत्ता, भोजनमाताओं को सरकार ने बड़ी राहत दी है। प्रदेश में वर्तमान में 29,300 भोजन माताएं हैं। अब उन्हें दस माह के बजाए 11 माह मानदेय मिल सकेगा।